Jaun Elia एक प्रसिद्ध पाकिस्तानी कवि, दार्शनिक और विद्वान थे जो २० वीं सदी के सबसे बड़े उर्दू (Urdu) कवियों में से एक थे. Jaun Elia का जन्म 14 दिसम्बर 1931 को भारत के अमरोहा नामक स्थान में हुआ था, और वो १९५7 में पाकिस्तान चले गये और कराची में Settle हो गए. इस शायरी ब्लॉग में हम देखेंगे Jaun Elia Shayari in Hindi एवम Jaun Elia Urdu Shayari.
Jaun Elia Shayari in Hindi
कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे,
Jaun Elia
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे.

How luxurious their lifestyle might be, How much they might be showing off, I wonder what kind of people are who admire it.
ज़िंदगी किस तरह बसर होगी,
Jaun Elia
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में.

How will life be lived when the heart is not in love?
नहीं दुनिया को जब परवाह हमारी,
तो फिर दुनिया की परवाह क्यूँ करें हम.

If the world doesn’t care about us, then why should we care about the world?
अपने सब यार काम कर रहे हैं,
और हम हैं कि नाम कर रहे हैं.

All our friends are working And I am just making my name famous.
काम की बात मैंने की ही नहीं
काम की बात मैंने की ही नहीं
ये मेरा तौर-ए-ज़िंदगी ही नहीं.
I am not the only one who talks about work, this is not just my way of life.
अब तो हर बात याद रहती है,
ग़ालिबन मैं किसी को भूल गया.
Now, everything stays in my memory, Perhaps, I have forgotten someone.
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई,
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया.
How can I say that you also have a connection with me, You have never complained to me about anything till today.
एक ही तो हवस रही है हमें,
अपनी हालत तबाह की जाए.
I am consumed by only one desire, Which ruins my condition.
Jaun Elia Urdu Shayari
क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं.
ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को,
ज़िंदगी एक फ़न है लम्हों को,
अपने अंदाज़ से गँवाने का.
नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम,
नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम,
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम.
अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं,
अब मेरी कोई ज़िंदगी ही नहीं,
अब भी तुम मेरी ज़िंदगी हो क्या.
कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं,
कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं,
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे.
‘जौन’ दुनिया की चाकरी कर के,
तूने दिल की वो नौकरी क्या की.
इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ,
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैंने.
जो गुज़ारी न जा सकी हम से,
जो गुज़ारी न जा सकी हम से,
हम ने वो ज़िंदगी गुज़ारी है.
उस गली ने ये सुन के सब्र किया,
उस गली ने ये सुन के सब्र किया,
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं.
ख़र्च चलेगा अब मेरा
ख़र्च चलेगा अब मेरा किस के हिसाब में भला
सब के लिए बहुत हूँ मैं अपने लिए ज़रा नहीं
जमा हम ने किया है ग़म दिल में,
इस का अब सूद खाए जाएँगे.
कौन से शौक़ किस हवस का नहीं,
दिल मेरी जान तेरे बस का नहीं.
~ चर्चित शायरीयाँ ~
जाउन इलिया की Shayari उनकी अलग ढंग और सोच के गहरेपन से जानी जाती है. उन्होंने प्यार, ज़िन्दगी, मौत, धर्म , दर्शन, और राजनीती जैसे गंभीर विषयों पर लिखा था. उनकी कविता को सरल, रोजमर्रा की भाषा और मासूमियत की गहराई से जानी जाती है.
Jaun Eliya की पहली कवितावों का संग्रह शायद १९७4 में प्रकाशित हुआ था, और उन्होंने कई और संग्रह भी प्रकाशित किये जैसे Ya’ani, गुमान, लेकिन और गोया. उनकी कवितावों को पाकिस्तान और उर्दू (Urdu) भाषा बोलने वाले दुनिया भर के देशों में पसंद किया गया और उन्हें कई पुरुष्सकार से सम्मानित किया गया.
Jaun Elia ke alawa unki vidvat aur manoranjak soch bhi prasiddh thi. Unhe kai bhashaon mein mahir the jaise Arabic, Persian, English aur Hebrew. Unhone anek prasiddh kaviyon aur darshanikon ke kaam ko Urdu mein anuvaad kiya.
Jaun Elia 8 November, 2002 ko Karachi, Pakistan mein 71 saal ki umr mein chale gaye. Unhone ek sampada joda jisme kavita aur vidvat dono ke kshetra mein unki pratibha unke chahne waalon ko abhi tak prabhavit karti hai.