मोहब्बत का अंजाम
मेरा जूनून मेरी दीवानगी मेरी इन्तहा हो तुम,
तुम्हे भला कैसे समझाए मेरे लिए क्या हो तुम|
दिल की हालत
समझा न कोई दिल की बात को,
दर्द दुनियां ने बिन सोचे ही दे दिया,
जो सह गए हर दर्द को हम चुपके से
तो हमको ही पत्थर दिल कह दिया।
मोहब्बत
तुम आये तो लगा हर खुशी आ गई,
यू लगा जैसे ज़िन्दगी आ गई…
था जिस घड़ी का मुझे कब से इंतज़ार
अचानक वो मेरे करीब आ गई …
दर्द दे मोहब्बत
कुछ ना बचा मेरे इन, दो खाली हाथों में,
एक हाथ से किस्मत रूठ गई,
तो दूसरे हाथ से मोहब्बत छूट गई।
मोहब्बत की सच्चाई
मोहब्बत मुकद्दर है कोई ख़्वाब नही,ये वो अदा है जिसमें हर कोई कामयाब नही,जिन्हें मिलती मंज़िल उंगलियों पे वो खुश …
सुप्रभात
हर दिन कुछ केहता है,
हर दिन कुछ बताता है,
इस नये दिन में आपको वो सब मिले,
जो हर कोई नहीं पाता है।