मोहब्बत का अंजाम
मेरा जूनून मेरी दीवानगी मेरी इन्तहा हो तुम,
तुम्हे भला कैसे समझाए मेरे लिए क्या हो तुम|
मेरा जूनून मेरी दीवानगी मेरी इन्तहा हो तुम,
तुम्हे भला कैसे समझाए मेरे लिए क्या हो तुम|
कुछ ना बचा मेरे इन, दो खाली हाथों में,
एक हाथ से किस्मत रूठ गई,
तो दूसरे हाथ से मोहब्बत छूट गई।
मोहब्बत मुकद्दर है कोई ख़्वाब नही,ये वो अदा है जिसमें हर कोई कामयाब नही,जिन्हें मिलती मंज़िल उंगलियों पे वो खुश …
चेहरे पर हँसी छा जाती है,
आँखों में सुरूर आ जाता है,
जब तुम मुझे अपना कहते हो,
अपने आप पर ग़ुरूर आ जाता है.
दर्द को दर्द अब होने लगा है,
दर्द अपने गम पे खुद रोने लगा है,
अब हमें दर्द से दर्द नही लगेगा,
क्योंकि दर्द हमको छू कर खुद सोने लगा है.